सुबह – सुबह रोज़ की तरह मैं आज़ भी ऑफिस जाने के लिए अपनी कार से निकल पड़ा था। यह अपना रोज़ का नियम था। रेडियो के एफ एम चैनल पर खुबसूरत एवं कर्ण प्रिय नए पुराने गानों के साथ ही साथ रेडियो जॉकी शहर में हो रहे हलचलों को
अपने ही अंदाज में सूना रहा था। कार का शीशा चूंकि बंद था, तो हम बाहरी दुनिया और सड़क के ट्राफ़िक के चिल्ल-पों से बेख़बर गानों और आर जे की कमेन्ट्री का आनन्द लेते हुए अपने गंतव्य यानि अपने ऑफिस को जा रहे थे। तभी रेडियो पर हमारे प्रधानमंत्री महोदय का संदेश आने लगा। इस बार का उनका संदेश ” डिजिटल अरेस्ट ” को लेकर था। हाल फ़िलहाल में ” डिजिटल अरेस्ट ” एक बड़ा ही गंभीर और संवेदनशील मुद्दा बनता जा रहा है। आए दिन अखबारों और सोशल मीडिया में इसके बारे में पढ़ने एवं जानने को मिलता है। एक दो खबरें तो लगभग प्रतिदिन रहती है। लोग ठगे जा रहे हैं। लोगों की गाढ़ी कमाई, एक तरह से कहें तो इन साइबर फ्राडों के चक्कर में लुट जा रही है। ये इतने शातिर हैं कि इन्हें पकड़ पाना मुश्किल हो रहा है। सुनियोजित तरीके से एक पुरा का पुरा संगठित गिरोह इसमें लगा हुआ है। मामला कोई सौ या हजार रुपए का नहीं बल्कि लाखों करोड़ों रूपयों का होता है, तभी तो इस बेहद संजीदा और संवेदनशील मुद्दे पर हमारे प्रधानमंत्री महोदय को सोशल मीडिया पर खुद आकर लोगों को इसके ख़तरे के बारे में बताना पड़ रहा है, उन्हें जागरूक करना पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री महोदय का सोशल मीडिया पर डिजिटल अरेस्ट के मुद्दे को लेकर आना, इससे आप इसकी गंभीरता का अंदाज लगा सकते हैं। इस तरह के साइबर ठगी का जो व्यक्ति शिकार हो रहे हैं , वो कोई आमजन नहीं हैं। इस तरह की ठगी के शिकार अमुमन अच्छे घरों के पढ़ें लिखे लोग हो रहे हैं। बैंक मैनेजर तो क्या पुलिस वालों से लेकर नौकरशाह और आम आदमी तक इसके शिकार हो रहे हैं। कोई नहीं बच पा रहा है।
दो – तीन दिन पहले की ही तो बात है। लखनऊ में अखबार की सुर्खियां थी कि एक अवकाश प्राप्त प्रोफेसर पुरे एक सप्ताह तक डिजिटल अरेस्ट रहीं और इस दौरान उन्होंने उन ठगों के निर्देश के अनुसार लगभग एक करोड़ से ऊपर की रकम उनके बताए गए खातों में ट्रांसफर किया।
एक दूसरी घटना में अवकाश प्राप्त एक वरिष्ठ नौकरशाह जिन्हें मैं व्यक्तिगत तौर पर जानता हूं लगभग चार-पांच घंटे डिजिटल अरेस्ट रहे, पर उनकी खुशकिस्मती रही कि समय पर उनके परिवार के एक सदस्य ने उनकी परेशानी को भांप कर उन्हें ठगी का शिकार होने से बचा लिया।
इस तरह की बहुतेरी घटना लगभग रोजाना संज्ञान में आ रही है। कभी कोई व्हाट्सएप काॅल कर खुद को कभी इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट का अधिकारी बता तो कभी सी बी आई का अधिकारी बता लोगों को ठग रहा है डिजिटल अरेस्ट के नाम पर।
भाई, एक बात मुझे बिल्कुल ही समझ में नहीं आती है कि जब आपने कोई ऐसा ग़लत काम किया ही नहीं है तो क्यों डर कर उनकी बातों में आकर अपनी गाढ़ी कमाई को उनके हवाले कर रहे हैं। जैसे ही इस तरह का कोई फ़ोन आपके मोबाईल पर आए आप बिना कहे सुने उस नंबर को डिस्कनेक्ट कर तत्काल ब्लाक कर दें। भारतीय न्याय संहिता के किसी भी पन्ने पर डिजिटल अरेस्ट से संबंधित कोई बात नहीं है। वैसे भी हमारा संविधान और हमारी न्याय व्यवस्था हमें इतनी सुरक्षा तो देती ही है कि हम अपनी बातों को उचित मंच पर रख सकें। कोई भी सरकारी एजेंसी बिना कारण बताए आपको ना तो गिरफ्तार कर सकती है और ना ही वो बिला वजह आपको तंग ही कर सकती है।
कोई भी अपराध की सूचना कोई यूं सोशल मीडिया पर क्यूं देगा और फ़िर उससे बचने के लिए आपसे पैसे मांगेगा। आपको तभी समझना चाहिए, पर आप उनकी बातों में आकर सम्मोहित हो जाते हैं। थोड़ा धैर्य रखें और अपने दिमाग़ से काम लें।वो अपराध जिसे हमने किया ही नहीं, फिर डरना क्या।
कई मर्तबा मेरे नंबर पर भी फोन आया है। जैसे ही मुझे अहसास होता है कि यह ग़लत मंशे से किया गया फोन है मैं तत्काल उसे ब्लाक कर देता हूं। एक बार तो जैसा आप सभी सुनते होंगे और जान भी गए होंगे कि आपके मोबाईल पर पुलिस के यूनिफॉर्म में एक बन्दा विडियो काॅल करता है। अरे भाई अज्ञात व्यक्तियों का विडियो काॅल क्यों उठाना। विडियो काॅल तो निहायत ही व्यक्तिगत होती हैं। क्यूं अज्ञात व्यक्तियों से विडियो काॅल पर बातें करना।
इस तरह की छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखें डिजिटल अरेस्ट से हमेशा अपना बचाव करें।
बचपन में हमने एक कहानी पढ़ी थी। आप सबने भी पढ़ी होगी।
चिड़िया अपने बच्चों को सीख देती है – शिकारी आएगा। दाना डालेगा। जाल बिछाएगा। जाल में फंसना नहीं। आपको भी इन शिकारियों के जाल में फंसना नहीं है।
वैसे भी भारतीय रिज़र्व बैंक आपको विभिन्न माध्यमों से आगाह कर रही है। आपको इस तरह के धोखाधड़ी से बचने को जागरूक कर रही है – ” जानकार बने, सतर्क रहें”
✒️ मनीश वर्मा’मनु’